
झर झर बरसेला पनिया - गणेश नाथ तिवारी 'विनायक'
अरे रामा झर झर बरसेला पनिया भिजेली मोर धनिया ए रामा। घनघोर घटा नभ छावे बदरिया चम चम चम चम चमके बिजुरिया आरे रामा नाचेला मोरवा मोरिनिया भिजेल...
अरे रामा झर झर बरसेला पनिया भिजेली मोर धनिया ए रामा। घनघोर घटा नभ छावे बदरिया चम चम चम चम चमके बिजुरिया आरे रामा नाचेला मोरवा मोरिनिया भिजेल...
बाते कुछ आउर बा... मेहर का पगार के चईत का जाड़ के घोड़ा का लतार के, बाते कुछ आउर बा। नाच में लबार के, ढ़ारे में धार के। माह में कुआर के, बात...
माई सिलबट्टा पर मरिचा, नून आ लहसुन के चटनी पिसत समुझवली- बाबू हो! अलग-अलग बा ए तीनू के स्वाद, आपन रूप, आपन रंग, आपन गुन, आपन बुनियाद। खाली म...
(1) जब प्रेम के इजहार चले लागल तब नेह के सनसार चले लागल आदत जरे ओला के ढह गइल नदी में नाव के सवार चले लागल। ----------------- (2) एह बसंत के...
मुश्किल बा मन के समझावल आगे-पीछे दउड़ल-धावल आ/मुश्किल बा रुकल-थथमल चलत राह में अचके पंजरल। राह चलत जाईं अकेला मिले पत्थर भा/मिले ढेला जन करी...
आपै आपको जानते, आपै का सब खेल। पलटू सतगुरु के बिना, ब्रह्म से होय न मेल॥1॥ पलटू सुभ दिन सुभ घड़ी, याद पड़ै जब नाम। लगन महूरत झूठ सब, और बिगाड़ै...
जिनगी के दुपहरिया खोजे जब-जब शीतल छाँव रे पास बोलावे गाँव रे आपन, पास बोलावे गाँव रे। गाँव के माटी, माई जइसन खींचे अपना ओरिया हर रस्ता, चौरा...
दुख के चादर ओढ़ले मनई के आँगन इंतजार रहे सुख के एगो छोट टुकड़ा के काहे राह भुला गइल सुख के चान। अमावस्या त घरे बइठल रहे इंतजार रहे पूनिया के...
हमरा खातिर उज्जर दिनआ अँजोरिया रात का बा? हवा के झकोरा से उधियाइल माँटी में लसराइल ओही में समाइल माँटी में मिलि के माँटी बनि गइल माँटी खातिर...
केतना दिन अउरी चलत रही चकरी। कूटि-पीसि खा गइनीं जिनिगी के सगरी। जोरत-अगोरत में थाती हेराइल तनमन के गरमी सब देखते सेराइल धार में चिन्हाइल ना,...
भदई के असरा प'फिरि गइल पानी, लउके ना बदरी के नाँवो-निसानी अबकी असढ़वा बिगरि गइल जतरा बरिसल ना रोहिनी बिराइ गइल अदरा परि गइल अझुरा में सउ...
जियरा धक-धक धड़क रहल बा फर-फर अंखियां फरक रहल बा देख-देख के दिन दशा मन होखत बा बेचैन मन बाटे बेचैन। आसमान झुकत बा जइसे लागत बा मनवा के अइसे ...
मय दुनियाँ में कवि जी अउवल कविता हउवे बात बनउवल। गढ़ीं भले कवनों परिभाषा मंच ओर तिकवत भरि आशा गोल गिरोह भइया दद्दा साँझ खानि के पूरे अध्धा। क...
बढ़ल महंगाई बाटे तनिको ना सोहाता। जातिये धरम पर खाली खतरा बुझाता॥ कहे खातिर पुरहर भइल बा विकास धरती पर कुछ्वु ना बाटे मय आकाश। जनता की अँखिया...
जिन दिन पाया वस्तु को तिन तिन चले छिपाय॥ तिन तिन चले छिपाय प्रगट में हो हरक्कत। भीड़-भाड़ में डरै भीड़ में नहीं बरक्कत॥ धनी भया जब आप मिली ह...
पंछी दूर ठिकाना बा। कहिया ले ई रात अन्हरिया बइटल हँसी उडाई कब विहान के झिलमिल रेखा सपना बन मुस्काई। कब ले धुन्ध छँटी जिनगी के कहँवा भोर सुहा...
बहुत काम बा अइसन जेवन लागे ना जरूरी देखला पऽ दूर से कब्बो बाकिर कइल बहुत जरूरी; जइसे झारलऽ पुरान कपड़ा जाड़ा में भा पपनी पर चढ़ल धूर! जेवन च...
हमरा मुँहवाँ से कुछुओ कहात नइखे जब ले मनवाँ के मीतवा लखात नइखे। पूछे राह-बाट के लोग कंठे बा कहिया से रोग अधिका गुङी साधि रहेंवाँ रहात नइखे। ...
साँवरी सुरतिया नाके नथिया सजधज भईल बा सिंगार तुलसी बाबा बाढ़ पउड़ी गईले राम लगवले बेड़ा पार। ...
के कहत बा इहाँ लोकतंत्र नइखे? हर समस्या के हल जोड़तंत्र नइखे॥ हर केहु के बा बस दूसरा के फिकर केहु नइखे करत आपन करिया जिकर। अपना इहाँ हट गइल द...